*अज़नबी अपने ही घर में*~ कभी किसी मुकाम पर हम अज़नबी अपने ही घर मे बन जाते है , कुछ रिश्ते बहुत पास होकर भी दूर होने का अहसास कराते है , चलती रहती है ज़िंदगी हमारी इनके एहसान तले , चाह कर भी हम ऐसे बंधनो से कभी नही छूट पाते है । बचपन […]
*अज़नबी अपने ही घर में*~ कभी किसी मुकाम पर हम अज़नबी अपने ही घर मे बन जाते है , कुछ रिश्ते बहुत पास होकर भी दूर होने का अहसास कराते है , चलती रहती है ज़िंदगी हमारी इनके एहसान तले , चाह कर भी हम ऐसे बंधनो से कभी नही छूट पाते है । बचपन […]