कविता प्रतियोगिता : काव्य के आदर्श शीर्षक : “वो तोड़ती पत्थर ” अपने हाथों की नाज़ुक सी कलाइयों से , हथौड़ा उठा निरंतर प्रहार करती हुई सी वो तोड़ती रही पत्थर,अविरल बस खड़ी हुई सी । यकायक नजरें पड़ी जब उसकी अपनी उस टूटे छप्पर के मकान पर साफ दिखाई दी उसके चेहरे पर चिंता की […]
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कविता प्रतियोगिता: काव्य के आदर्श शीर्षक : “अब यह चिड़िया कहां रहेगी ” जीवन के नव प्रभात में आती, सांझ भए तो ये उड़ जाती अपनी चूं – चूं की ध्वनि से ,सवेरे सभी को ये जगाती इस उन्मुक्त गगन में उड़ती, चहचहाती नटखट सी चिड़िया रानी, मांगे केवल मुक्त स्थान और अल्प ही दाना- […]
