भीगी यादों के रंग नीचे गिरे कुछ काग़ज़, कुछ रंगों में डूबे हुए, तो कुछ बारिश की बूँदों से भीगे — जैसे कोई भूली-बिसरी डायरी, जैसे किसी मासूम की अधूरी कविताएँ… हर काग़ज़ का रंग, कोई सपना है जो बचपन में पनपा, किसी ने माँ के आँचल में छुप कर नाव बनाकर पानी में बहाया […]