सखी वो कह कर जाते… सखी, वो कह कर जाते, बस एक बार मुड़ कर मुस्कुरा ही जाते। मैंने तो हर बार उन्हें अपनी खामोशी में पुकारा, पर वो हर बार जैसे दूरियों में और खोते गए। ना कोई अलविदा, ना कोई वजह बताई, बस निगाहें झुकी और यादें रह गईं। मैं वहीं बैठी थी […]
Tag: #labj_ke_do_shabd #poem
अब यह चिड़िया कहां रहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी (चिड़िया की व्यथा) पेड़ों की शाखें अब कहां बची हैं, हर दिशा में इमारतें ही खड़ी हैं। जिस डाल पर बैठ गुनगुनाती थी, आज वहाँ मशीनें शोर मचाती हैं। नीड़ उसका सपना बन गया, वो कोना भी अब छिन गया। शिकारी छुपकर आते हैं, जालों में सपने फँसाते हैं। ना […]