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वो तोड़ती पत्थर

वो तोड़ती पत्थर धूप में तपता बदन, फिर भी छांव की उम्मीद लिए, हर वार हथौड़े का, जैसे किस्मत से जंग किए। कंधे से बंधा बच्चा, कभी हँसे, कभी रो दे, माँ की आँखों में चमक हो, या थकावट का मोड़ ले। ना शिकवा है, ना कोई आह, उसके सपनों में बस है – बच्चों […]

🌧️ “मौसम बदला, पर मन नहीं…”

“मौसम बदला, पर मन नहीं…” सावन आया है फिर से, बूंदें टपक रही हैं छतों से, कहीं भीगती हैं आशाएं, तो कहीं टपकते हैं बस छप्पर। सड़क किनारे बैठा वो बचपन, जिसे ना छत मिली, ना बस्ता, वो आज भी उसी मिट्टी में खेल रहा है, जहाँ कल कीचड़ था, और आज उम्मीदें भीग रही […]

“आईने से एक मुलाक़ात”

“आईने से एक मुलाक़ात” आज फिर देखा मैंने — आईने में एक चेहरा झुका हुआ। होंठ खामोश, आँखें सवालों से भरी, जैसे कुछ कहना चाहता हो… पर कह नहीं पा रहा। मैंने पूछा — “कौन हो तुम?” वो बोला — “मैं वही… जिसे तूने छुपा रखा है। तेरे मुस्कुराते चेहरे के पीछे, तेरी टूटी हुई […]