*मोहब्बत का लाॅगआउट* मोहब्बत कभी अल्फ़ाज़ में बसती थी, अब स्टिकर और रील में सजीव होती है। पहले जज़्बात चुपके से दिल में उतरते थे, अब सीन और टाइपिंग… में ज़िन्दगी कटती है। कभी एक मुस्कान, पूरे दिन की राहत थी, अब लास्ट एक्टिव देख, बेचैनी की आदत सी। जिसे चाहा था रूह से — […]