खुद से संवाद

प्रतियोगिता – आईने की बात
विषय – खुद से संवाद

बसर अपनी जिंदगी तो ..
एक उम्र से कर रही हूं।।
आज खुद के सामने
मैं आईना.. कर रही हूं।।

देखूंगी अपने चेहरे को
शीशे में बार- बार…
मैं अपनी जवानी की यादें
ताज़ा कर रही हूं ।।

रेशम सी थी जुल्फ़े कभी ..
कभी सुर्ख थे ये गाल
फिर आज क्यों इन गालों की
झुर्रियों से डर रही हूं।।

रखते थे मेरी हसरतें कभी
जो थे मेरे तलबगार…
पूछती हूं खुद से आज मैं
क्यों तन्हा मर रही हूं।।

फ़ुर्सत के लम्हों में भी
ना खुद को संवारा कभी..
अब जिस्म हो चुका जर्जर
तो अफ़सोस कर रही हूं।।

आईने अब दिखला मुझमें
नुक्स तू भले हज़ार…
मैं भी अपनी कमियों को
अब कुबूल कर रही हूं।।

✍️प्रियंका शर्मा

Updated: June 26, 2025 — 6:10 am

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