विषय – नेता बदलते है, नियत नहीं बेख़ौफ़,आज़ाद मैं अपनी हर बात रखूंगी, झूठ की दीवारों पे अब सच की सौगात रखूंगी, भारत की नारी मैं,अब हर सवाल से दो-चार करूंगी, सिंहासन बैठे राजा बन,उनकी नियत का व्यापार करूंगी। सियासत की गलियों मे जो छल का बाज़ार करते है, हर बार नया चेहरा लाकर खेल […]
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“ख़ुद से संवाद”
“ख़ुद से संवाद” थक गई थी हर रोज़ खुद को समझाने में, झूठी हँसी चेहरे पर सजाने में। हर सवाल से खुद को बचाती रही, भीतर की आहट को चुप कराती रही। दुनिया को दिखाया मजबूत सा चेहरा, पर अंदर से बिखरा था हर सवेरा। सब ठीक है ये रोज़ कहती रही, मगर सच्चाई से […]
खुद से संवाद
आईने से बात आईने में झाँका तो खुद से सवाल किया, “क्या अब भी वही हूँ, जो कल था जिया?” चेहरे पर हँसी, पर आँखों में शाम है, कहीं तो दिल में भीगी हुई कोई बात थाम है। “क्यों थक गए हो?”, आईना बोला चुपके से, “खुद से भागते हो क्यों हर सुबह के साये […]
गरीब
अजनबी अपने ही घर में
विषय- “अजनबी अपने ही घर में ” चेहरे पे नक़ाब की चादर लिपटी हैं, जब आईने में नजर खुद से मिलती हैं, बिन कहे पलकों से बारिश गिरती हैं, कोई देख न ले…इसलिए अधरों पे मुस्कान होती हैं। यूँ तो चारों ओर से घिरी हुई हूँ, अपनो की इस भिड़ में फिर भी अकेली हूँ… […]